कानपुर के दो बड़े घोटालेबाज उदय देसाई और विक्रम कोठारी ने आपस में मिलकर बैंकों को कुल 7000 करोड़ रुपये का चूना लगाया। हद की बात ये है कि वर्षों तक बैंक इनके खेल का शिकार होते रहे और जनता की जमा पूंजी इन पर लुटाते रहे।
सीबीआई की अब तक की जांच में यह बात साफ हो गई है कि विक्रम कोठारी और उदय देसाई एक दूसरे के गुमनाम कारोबार में साझेदार थे। उदय देसाई ने ही विक्रम कोठारी को बैंकों के लूटने का खेल सिखाया, जिसे कोठारी ने आगे बढ़ाया।
उदय देसाई के 3595 करोड़ रुपये के फ्रॉड पर बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के बाद सीबीआई ने केस दर्ज कर दो महीने तक इनके खातों की जांच की। पता चला कि उदय देसाई की कंपनी फ्रास्ट इंटरनेशनल और विक्रम कोठारी की कंपनी रोटोमैक के बीच बीते सात-आठ वर्षों में 8000 से ज्यादा लेनदेन हुए हैं।