जीभर मनमानी करो आओ हिन्दुस्तान

काव्य गोष्ठी का आयोजन साहित्यकार नरोत्तम दास के जन्म दिवस को लेकर किया गया। साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र ने कहा कि साहित्यकार नरोत्तम दास ने सुदामा चरित्र और ध्रुव चरित्र लिखकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। सुदामा चरित्र का उर्दू, फारसी, बंगला, मलयालम में भी अनुवाद हुआ है। प्रबोध भदौरिया ने ‘जीभर मनमानी करो, आओ हिंदुस्तान...’ कविता सुनाकर देश में बने वर्तमान हालातों पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि रघुनंदन लाल पाठक ने ‘आया वसंत आया वसंत, सर्दी की काली धुंध हटी’ कविता सुनाई। उर्मिला पांडेय ने ‘जनता का हित होवे ऐसे नेता को चुनना’ कविता पढ़ी।
सतीश दुबे ने 35ए और 370 अब तो हटा दी घाटी में, शिव सिंह निसंकोच ने ‘दुखिया के द्वार आज आजा तू वसंतराज।’ बदन सिंह मस्ताना ने सौरव में डूबा हुआ धरती से आकाश, अरविंद पाल ने तुम मुकाबला क्या कर लोगे उस किसान की बेटी का, श्रीकृष्ण मिश्र ने बनो मीत मेरे अनुकूल भार मकरंद हवा में बिखरें कविता सुनाई। इसी तरह शिवदत्त दुबे, ईएम अनम, राजेंद्र तिवारी, संतोष दुबे ने भी काव्यपाठ किया।
अध्यक्षता रामप्रकाश पांडेय ने, संचालन विनोद माहेश्वरी ने किया। मुख्य अतिथि बदन सिंह मस्ताना, अभय शर्मा, ज्ञानेंद्र दीक्षित, उमेश दुबे, एमएस कमठान, अनुराग दुबे, विद्यासागर शर्मा, ज्ञानेश्वर सक्सेना, संजीव शर्मा, राकेश श्रीवास्तव, सर्वेश्वर मिश्रा, नंदकिशोर गुप्ता, मनोज सक्सेना, जगदीश चंद्र त्रिपाठी मौजूद रहे।